देखिए जाति वाद इतने समय से चलता आ रहा है की वह उनके दिलों दिमाग में बैठ चुका है ।
प्रमुख यह नही है की लोग जातिवाद करते है प्रमुख यह है की लोग भेद भाव करते है किसी को समाज में कम प्रतिष्ठा देना तो किसी को ज्यादा ।
यह पुरातन वर्ण व्यवस्था के चलते हुआ जिसका विकास समाज में अलग-अलग लोगों को अलग-अलग कार्य सौंपने के लिए हुआ था लेकिन समय व्यतीत होने के बाद उसका दुरुपयोग शुरू हो गया।
कुछ समय बाद इस वर्ण व्यवस्था का प्रमुख केंद्र रुपया बन गया जिस भी जाति के पास ज्यादा पैसा और ज्ञान हुआ वही सम्मान लायक बना क्योंकि कुछ जातियां ज्यादा कार्यभार के चलते पढ़ाई और ज्ञान को अर्जित नहीं कर सकी जिस वजह से वह ज्यादा ध्यान भी नहीं कमा पाई जिस वजह से समाज में उनकी प्रतिष्ठा का बहुत ज्यादा दमन हुआ।
अब आते है कि,
वर्ण व्यवस्था (जातिवाद) कैसे खत्म किया जा सकता है ?
तो जैसा कि अब हमें कारण पता चल गया है कि इसके प्रमुख केंद्र में रुपया है इसलिए जब तक हमारी निम्न वर्ग पढ़ाई और पैसा कमाने की तरफ अपने दिमाग को नहीं चलाएंगे तब तक जातिवाद का कुछ नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्रमुख जातिवाद नहीं बल्कि गरीबी और अमीरी है बहुत से मैंने निम्न वर्ग के लोगों को अमीर होने के बाद शोहरत और सम्मान बटोरते देखा है।
- ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित करे
- खूब पैसा कमाए
- सत्ता में सही व्यक्ति का चुनाव करे